एलोरा और अजंता में संस्कृति का प्रतिबिंब
| Vol-4 | Issue-02 | February 2019 | Published Online: 20 February 2019 PDF ( 211 KB ) | ||
| Author(s) | ||
| साहिल सोनी 1; डाॅ0 नर्मता चर्टजी 2 | ||
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1शोधकर्ता, श्री सत्य साई विश्वविद्यालय आॅफ टेक्नौलाजी एण्ड मेडिकल साइन्सेस, सीहोर, एम.पी. 2शोध निर्देशक, श्री सत्य साई विश्वविद्यालय आॅफ टेक्नौलाजी एण्ड मेडिकल साइन्सेस, सीहोर, एम.पी. |
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| Abstract | ||
इतिहास में प्राचीन कला कैसे आधुनिक कला की तुलना में सर्वोच्च, एक घटना, या समाज के लिए इस तरह के उत्साह पर विचार करती है? विचार-विमर्श में तथ्य यह है कि आधुनिक कला 1860 के दशक से परे और उससे परे है, अधिकांश कार्यों में एक अलग शैली और दर्शन प्रचलित है। प्राचीन कला के समान, आधुनिक भी प्रयोग के परिणाम हैं, लेकिन उच्चतम सम्मान के चरण में नहीं। ये अधिक व्यक्तिगत काम हैं, प्रकृति और मानव भावनाएं वैन गोग, सेराट और पिकासो जैसे कलाकारों के लिए एक अभिन्न हिस्सा खेल रही हैं। |
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| Keywords | ||
| एलोरा, अजंता, संस्कृति | ||
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