राहुल सांकृव्यायन एक स्वच्छन्द व्यक्तित्व “वोल्गा से गंगा” पर आधारित
Vol-6 | No-01 | January-2021 | Published Online: 17 January 2021 PDF ( 289 KB ) | ||
DOI: https://doi.org/10.31305/rrijm.2021.v06.i01.011 | ||
Author(s) | ||
Manjula Chaturvedi
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1Research Scholar, OSGU – Hirar (Hariyana) |
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Abstract | ||
शोध पत्र ‘वोल्गा से गंगा’ तक का एक महत्वपूर्ण अवलोकन है, जो राहुल साकृंव्यायन द्वारा रचित प्रसिद्ध यात्रा साहित्य में से एक है। वे हिन्दी यात्रा साहित्य के जनक के रूप में जाने जाते है। इन दो प्रमुख नदियो को भी अपने लेखन साहित्य में जोडना यह दर्शाता है कि उनका प्रक्रति प्रेम एवं नदी दोनों को माँ के रूप में मान्यता प्राप्त है, यहाँ पर नदी का बहता हुआ जल जो अनेक स्थानों से होता हुआ गुजरता है लेखक की स्वच्छंद विचारधारा को दर्शाता है। रूसी संस्कृति में ‘वोल्गा’ को ‘मातुष्का’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – ‘माँ वोल्गा’ वहीं दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति में गंगा को माता के समान पूजा जाता है। पुस्तक ‘वोल्गा से गंगा’ ऐतिहासिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण संग्रह है जिसे मूल रूप से ऐतिहासिक पर्दे पर समय को गहराई के साथ हिन्दी में लिखा गया था। इस पुस्तक की मुख्य भाषा हिन्दी है, बाद में यह कई अन्य भाषाओं में भाषान्तरित की गई । राहुल सांकृव्यायन की रचनाओं ने पाठकों को यात्रा साहित्य के प्रति नया दृष्टिकोण दिया और जीवन को सही तरीके से जीने का नया दृष्टिकोण दिया एवं मार्ग दर्शन प्रदान किया । |
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Keywords | ||
वोल्गा, गंगा, मातुष्का, स्वच्छंद, आर्यन ईतिहास | ||
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