जीएसटी का व्यापारी वर्ग पर प्रभाव का समाजशास्त्र अध्ययन
Vol-6 | No-01 | January-2021 | Published Online: 17 January 2021 PDF ( 255 KB ) | ||
DOI: https://doi.org/10.31305/rrijm.2021.v06.i01.002 | ||
Author(s) | ||
डाॅ० पुष्पा राय
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1एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, श्री अरविन्द महिला काॅलेज, पटना |
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Abstract | ||
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री, निर्माण और उपभोग पर एक व्यापक कर लेवी है। भारत में मुख्य कराधान सुधारों में से एक (जीएसटी) राज्य अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इससे पहले, कंपनियां और व्यवसाय अप्रत्यक्ष करों जैसे कि वैट, सेवा कर, बिक्री कर, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय और लक्जरी कर का भुगतान करते हैं। जुलाई 1, 2017 जीएसटी लागू होने के बाद, इन सभी करों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। अब केवल एक ही टैक्स है, वह भी राष्ट्रीय स्तर पर, जिसकी देखरेख केंद्र सरकार करती है। भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है और भारतीय जनसंख्या और उनके उपभोग पैटर्न के संदर्भ में हमें वस्तुओं और वस्तुओं की विभिन्न कीमतों पर जीएसटी के प्रभाव को देखना होगा। |
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Keywords | ||
जीएसटी, वस्तु और सेवा, अर्थव्यवस्था, क्षेत्र पर प्रभाव, जीएसटी लाभ। | ||
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